Founder's Message
शिक्षा का उद्देश्य आत्मा की उन्नति हैं और विद्यालय अध्ययन केंद्र से बढकर चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण के केंद्र एवं एक मानसिक व्यायाम शाला होती है जहाँ संयम, अनुशासन और सतत प्रयास के मूल्य विद्यार्थीयों में आरोपित किये जाते हैं। युवाओं में भविष्य निर्माण का सामर्थ्य और राष्ट्रीय चरित्र को आकार देने की क्षमता होती हैं परन्तु यह परिवर्तन स्वयं से शुरू होता हैं। सिर्फ विद्यार्थियों का ही नहीं परन्तु सम्पूर्ण शिक्षा जगत का यह ध्येय होना चाहिए कि हम सुधरेगे जग सुधरेगा। आज के युग में डाक्टर, इंजीनियर, या आईएस बनाना यह शिक्षा व्यावसायिक लक्ष्य हो सकता हैं, किन्तु शिक्षा का नैसर्गिक लक्ष्य एक बेहतर इंसान और राष्ट्र का जिम्मेदार नागरिक बनाना है। हमारी कोशिश वैश्विक मापदंडो पर आधारित आधुनिक वैज्ञानिक और गुणवत्ता परक शिक्षा भारतीय मूल्यों के साथ पिरो कर राष्ट्र के हर सामाजिक, आर्थिक वर्ग तक पहुँचाना है। मुझे विश्वास है कि यह विद्यालय के अपने उच्चतम आदर्श के प्रति सदैव निष्टावान रहेगा और शिक्षा तथा मानव मात्र की सेवा के क्षेत्र में नित्य नवीन कीर्तिमान स्थापित करेगा। विद्यार्थियों के लिए भी आवश्यक है कि वह लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ सतत प्रयत्नशील रहें। जो पत्थर छेनी हथौड़ी के प्रहार सह नहीं पाते उन्हें देवता बनकर मन्दिर में पूजे जाने का अधिकार नहीं होता इसीलिए:
“मन को बली बना लो इतना, टेक न छोड़े आठो याम।
तन को बली बना लो इतना, सहले सर्दी, वर्षा और घाम।
कर्म क्षेत्र है यह पृथ्वी तल, व्यर्थ यहाँ आलस आराम।।”
मेरी यही इच्छा है कि विंदा सिंह कृष्णा देवी इंटर कालेज के समस्त छात्र, अध्यापक, कर्मचारी अन्य सभी चिंताओं से परे होकर सिर्फ अपने कर्म की चिंता करें, यही मेरे लिए परम संतोष का आधार होगा। प्रत्येक आने वाला वर्ष आपके लिए ज्ञान और यश के नये सोपान लेकर आये यही मेरी सदिच्छा हैं...
“वो जो स्कूल के दरवाजे खोलता है, जेल के दरवाजे बंद करता है”
-विक्टर ह्यूगो
The education of a human being should begin at birth and continue his throughout life. The first thing to do in order to be able to educate a child is to educate oneself, to become conscious and master of oneself so that one never sets a bad example to one’s child. To speak good words and to give wise advice to a child has very little effect if one does not give him an example of what he teaches. Eternal values of sincerity, honesty, straight forwardness, courage, unselfishness, patience, endurance, peace, calm and self control are all things that are taught infinitely better by examples than by beautiful speeches. Those parents or teachers who a have high ideals should always put these ideals through their own behaviors. Certainly those ideals will reflect in their children.
“To me the very essence of education is concentration of mind, not the collecting of facts”
-Swami Vivekananda
I wish you all the best.
Mr. Raj Kishor Singh.