Chairman's Message
शिक्षा हमारे व्यक्तित्व का एक आभूषण है, जो हमारे जीवन को सभी मानवीय गुणों से अलंकृत करता है। ये मानवीय गुण और इनकी सहजता ही तो मोक्ष का मार्ग है। उत्तम शिक्षा हमें समाजोपयोगी बनाती है। सदियों से मानव इन्हीं गुणों से ओतप्रोत शिक्षा कि खोज में रहा है। मैं, राज किशोर सिंह को उनके इस भागीरथ प्रयास के लिए व् शिक्षा कि गुणवत्ता को उन्तरोत्तर बढाने के लिए बधाई देती हूँ, साथ ही कामना करती हूँ कि वो अपने इस प्रयास में शत प्रतिशत सफल रहें।
तद्विद्वि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिन:।।
(अध्याय ४, श्लोक ३४)
अर्थ :तुम गुरु के पास जाकर सत्य को जानने का प्रयास करो। उनसे विनीत होकर जिज्ञासा करो और उनकी सेवा करो। स्वरुपसिध्य व्यक्ति तुम्हें ज्ञान प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य का दर्शन किया है।
Mrs. Krishna Devi
(Chairman)